धान की खरीद पर मंडराया संकट: मिलर्स की हड़ताल से किसानों को हो सकती है परेशानी
परमल धान की खरीद 1 अक्टूबर से प्रस्तावित, लेकिन राइस मिलर्स की हड़ताल से अटका एग्रीमेंट
धान की खरीद पर मंडराया संकट: मिलर्स की हड़ताल से किसानों को हो सकती है परेशानी
खेत तक : हरियाणा, सिरसा जिले में धान की सरकारी खरीद प्रक्रिया पर संकट के बादल मंडराते दिख रहे हैं। जिले के करीब 80,000 धान उत्पादकों ने 2,32,316 एकड़ भूमि का पंजीकरण किया है, जिससे लगभग 58 लाख क्विंटल धान मंडियों में आने की उम्मीद है। हालाँकि, राइस मिलर्स एसोसिएशन की हड़ताल ने सरकारी एजेंसियों और मिलर्स के बीच एग्रीमेंट की प्रक्रिया को प्रभावित किया है। यदि यह समस्या जल्द हल नहीं हुई, तो किसानों और मंडी आढ़तियों के लिए यह एक गंभीर चुनौती बन सकती है।
राइस मिलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष, संजीव बंसल ने बताया कि मिलर्स की मांगों को लेकर सरकार के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। उन्होंने कहा, “जब तक हमारी मांगों पर सहमति नहीं बनती, कोई भी मिलर पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन नहीं कराएगा।” उनकी मुख्य मांगों में धान खरीद प्रक्रिया में पॉलिसी में किए गए बदलावों को वापस लेना शामिल है, जो मिलर्स के अनुसार उनके लिए नुकसानदायक साबित हो रहे हैं।
जिले में धान की खरीद 1 अक्टूबर से प्रस्तावित है, लेकिन मिलर्स के साथ एजेंसियों के एग्रीमेंट में देरी से यह प्रक्रिया बाधित हो सकती है। जिले में 52 राइस मिल हैं, जिनके बिना धान की सही तरीके से खरीद और उठान संभव नहीं हो पाएगा। किसानों ने पहले से 2,32,316 एकड़ भूमि का पंजीकरण करवा लिया है और प्रति एकड़ औसतन 25 क्विंटल धान मंडियों में आने की उम्मीद है।
यदि मिलर्स की हड़ताल जल्द खत्म नहीं होती, तो मंडियों में धान की आवक बढ़ने के बावजूद खरीद प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाएगी। इससे किसानों को न केवल आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि धान की गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है, खासकर जब खरीफ सीजन में उठान में देरी होती है।
सरकार ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 17% से अधिक नमी वाले परमल धान की खरीद नहीं की जाएगी। खरीद एजेंसियों को इस बारे में सख्त हिदायतें दी गई हैं। एसोसिएशन ने किसानों से अनुरोध किया है कि वे 1 अक्टूबर से पहले मंडियों में धान न लाएं और नमी स्तर को सुनिश्चित करें।
जिले के मिल मालिकों के साथ एजेंसियों की मीटिंग जल्द ही आयोजित होगी ताकि एक समाधान निकाला जा सके। इस मीटिंग के बाद ही एग्रीमेंट की प्रक्रिया शुरू होगी और धान की खरीद की जाएगी। यह देखना होगा कि मिलर्स की मांगें पूरी होती हैं या नहीं, ताकि किसानों को राहत मिल सके और धान की खरीद सुचारू रूप से हो सके।